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Welcome to Saraswati Shishu Vidhya Mandir High School bardiya |
विद्या भारती :- देश का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन आज लक्षद्वीप और मिजोरम को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में 86 प्रांतीय एवं क्षेत्रीय समितियां विद्या भारती से संलग्न हैं. इनके अंतर्गत कुल मिलाकर 23320 शिक्षण संस्थाओं में 1,47,634 शिक्षकों के मार्गदर्शन में 34 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा एवं संस्कार ग्रहण कर रहे हैं. इनमें से 49 शिक्षक प्रशिक्षक संस्थान एवं महाविद्यालय, 2353 माध्यमिक एवं 923 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 633 पूर्व प्राथमिक एवं 5312 प्राथमिक, 4164 उच्च प्राथमिक एवं 6127 एकल शिक्षक विद्यालय तथा 3679 संस्कार केंद्र हैं. आज नगरों और ग्रामों में, वनवासी और पर्वतीय क्षेत्रों में झुग्गी-झोंपड़ियों में, शिशु वाटिकाएं, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वती विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान, शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और शोध संस्थान हैं. इन सरस्वती मंदिरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है. इसके फलस्वरूप अभिभावकों के साथ तथा हिन्दू समाज में निरंतर संपर्क बढ़ रहा है. हिन्दू समाज के हर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा है. आज विद्या भारती भारत में सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षा संगठन बन गया हैι
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VISION |
MISSION |
WHY US? |
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इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जिसके द्वारा ऐसी युवा – पीढ़ी का निर्माण हो सके जो हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत हो‚ शारीरिक‚ प्राणिक‚ मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हो तथा जो जीवन की वर्तमान चुनोतियो का सामना सफलतापूर्वक कर सके और उसका जीवन ग्रामो‚ वनो‚ गिरिकन्दराओं एवं झुग्गी – झोपड़ियों में निवास करने वाले दीन- दुखी अभावग्रस्त अपने बांधवो को सामाजिक कुरीतियों, शोषण एवं अन्याय से मुक्त कराकर राष्ट्र जीवन को समरस, सुसम्पन्न एवं सुसंस्कृत बनाने के लिए समर्पित होι |
"शिक्षा का व्यापक अर्थ सा विद्या या विमुक्तये " " शिक्षा एक व्यापक अवधारणा है, जो छात्रों में कुछ सीख सकने के सभी अनुभवों का हवाला देते हुए" " अनुदेश शिक्षक अथवा अन्य रूपों द्वारा वितरित शिक्षण को कहते है जो अभिज्ञात लक्ष्य की विद्या प्राप्ति को जान बूझ कर सरल बनने को लिए हो" " शिक्षण एक असल उपदेशक की क्रियाओं को कहते है जो शिक्षण को सुझाने के लिए आकल्पित किया गया हो" " प्रशिक्षण विशिष्ट ज्ञान, कौशल, या क्षमताओं की सीख के साथ शिक्षार्थियों को तैयार करने की दृष्टि से संदर्भित है, जो कि तुरंत पूरा करने पर लागू किया जा सकता हैι" |
बालक ही हमारी आषाओं का केन्द्र हैι वही हमारे देष धर्म एवं संस्कृति का रक्षक है। उसके व्यक्तित्व के विकास में हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का विकास निहित है। आज का बालक ही कल का कर्ण धार है। बालक का नाता भूमि एवं पूर्वजों से जोड़ना यह षिक्षा का सीधा सरल एवं सुस्पष्ट लक्ष्य है। षिक्षा और संस्कार द्वारा हमें बालक का सर्वांगीण विकास करना है।
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About Saraswati Shishu Vidhya Mandir High School bardiya |
सरस्वती षिषु/विद्या मन्दिर हाई स्कूल बड़दिया सुर्ता की स्थापना 1999 में 17 बालको को लेकर हुई थी। जिसमें विद्यालय एक छोटे से कमरें में प्रारम्भ किया गया। जिसमें आचार्य पूरी लगन से इन नन्हे भारत के भविष्य निर्माताओं को पढ़ाते थे। रोज खेल गतिविधिया, बौद्धिक कहानियॉ एवं योग तथा पाठ्यक्रम का संचालन होता था। जिसमे भैया बहनों में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई। पालक भी बच्चों के साथ विद्यालय के प्रति जागरूक थे एवं समय समय पर विद्यालय का सहयोग करते थे।इस प्रकार यह छोटे से कमरे में लगने वाला विद्यालय उन्नति की राह पर चलने लगा।जिसमें विद्यालय के संयोजक श्री तुलसीराम पवॉर ने सन् 2003-2004 में विद्यालय के भवन निर्माण हेतु जमीन दान की एवं प्राप्त जमीन पर भवन निर्माण हेतु भागवत कथा का आयोजन किया गया जिसमें प्राप्त राषि विद्यालय के भवन निर्माण में लगाई गई और सर्वप्रथम 4 कक्ष निर्माण हुए।इस प्रकार विद्यालय प्राथमिक से माध्यमिक एवं 2011-2012 में हाई स्कुल की मान्यता ली। हाई स्कुल की मान्यता भी एक उद्देष्य को लेकर की गई।बड़दिया सुर्ता ग्राम से लगे हुए लगभग 15 ग्राम है जहॉ हाई स्कुल नही है जिससे इन गावों की लड़किया 8 वीं के बाद पढाई नही कर पाती थी वें अपनी पढाई आगे जारी रख सकें इस लिए सरस्वती षिषु/विद्या मंदिर हाई स्कुल बड़दिया सुर्ता की स्थापना की गई। |
इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जिसके द्वारा ऐसी युवा – पीढ़ी का निर्माण हो सके जो हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत हो‚ शारीरिक‚ प्राणिक‚ मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्ण विकसित हो तथा जो जीवन की वर्तमान चुनोतियो का सामना सफलतापूर्वक कर सके और उसका जीवन ग्रामो‚ वनो‚ गिरिकन्दराओं एवं झुग्गी – झोपड़ियों में निवास करने वाले दीन- दुखी अभावग्रस्त अपने बांधवो को सामाजिक कुरीतियों, शोषण एवं अन्याय से मुक्त कराकर राष्ट्र जीवन को समरस, सुसम्पन्न एवं सुसंस्कृत बनाने के लिए समर्पित होι |
"शिक्षा का व्यापक अर्थ सा विद्या या विमुक्तये " " शिक्षा एक व्यापक अवधारणा है, जो छात्रों में कुछ सीख सकने के सभी अनुभवों का हवाला देते हुए" " अनुदेश शिक्षक अथवा अन्य रूपों द्वारा वितरित शिक्षण को कहते है जो अभिज्ञात लक्ष्य की विद्या प्राप्ति को जान बूझ कर सरल बनने को लिए हो" " शिक्षण एक असल उपदेशक की क्रियाओं को कहते है जो शिक्षण को सुझाने के लिए आकल्पित किया गया हो" " प्रशिक्षण विशिष्ट ज्ञान, कौशल, या क्षमताओं की सीख के साथ शिक्षार्थियों को तैयार करने की दृष्टि से संदर्भित है, जो कि तुरंत पूरा करने पर लागू किया जा सकता हैι" |
बालक ही हमारी आषाओं का केन्द्र हैι वही हमारे देष धर्म एवं संस्कृति का रक्षक है। उसके व्यक्तित्व के विकास में हमारी संस्कृति एवं सभ्यता का विकास निहित है। आज का बालक ही कल का कर्ण धार है। बालक का नाता भूमि एवं पूर्वजों से जोड़ना यह षिक्षा का सीधा सरल एवं सुस्पष्ट लक्ष्य है। षिक्षा और संस्कार द्वारा हमें बालक का सर्वांगीण विकास करना है।
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Frequently Asked Questions (FAQ's) |
छात्र संख्या :- स्कूल का डाईस कोड-23271403803 संस्था कोड ़ :- 542095 सत्र-2018-19 संकुल का नाम- षा.बा.उ.मा.वि.पिपल्या बुजुर्ग
CLASS
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S.C.
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S.T.
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O.B.C.
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GEN.
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TOTAL
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B
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G
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T
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B
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G
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T
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B
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G
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T
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B
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G
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T
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B
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G
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T
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1st
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03
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05
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08
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-
|
-
|
-
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07
|
09
|
16
|
02
|
-
|
02
|
12
|
14
|
26
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2nd
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06
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01
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07
|
-
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-
|
-
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08
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09
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17
|
-
|
01
|
01
|
14
|
11
|
25
|
3rd
|
02
|
06
|
08
|
-
|
-
|
-
|
17
|
06
|
23
|
03
|
01
|
04
|
22
|
13
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35
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4th
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04
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04
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08
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-
|
-
|
-
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09
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07
|
16
|
04
|
-
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04
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17
|
11
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28
|
5th
|
02
|
02
|
04
|
-
|
-
|
-
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02
|
02
|
04
|
01
|
-
|
01
|
20
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11
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31
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6th
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03
|
01
|
04
|
-
|
-
|
-
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09
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07
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16
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02
|
-
|
02
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14
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08
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22
|
7th
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01
|
01
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02
|
-
|
-
|
-
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12
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06
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18
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01
|
-
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01
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14
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07
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21
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8th
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02
|
-
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02
|
-
|
-
|
-
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23
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08
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31
|
-
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01
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01
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25
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09
|
34
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9th
|
04
|
02
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06
|
-
|
-
|
-
|
23
|
14
|
37
|
04
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02
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06
|
31
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18
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49
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10th
|
01
|
-
|
01
|
-
|
-
|
-
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15
|
18
|
33
|
02
|
01
|
03
|
18
|
19
|
37
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Total
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28
|
22
|
50
|
-
|
-
|
-
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139
|
93
|
232
|
19
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06
|
25
|
186
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121
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308
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Posted on Monday 22nd October, 2018 | Views 43 |
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Hostel Facility at Saraswati Shishu Vidhya Mandir High School bardiya |
मन की अस्थिरता मन की हार है और मन की एकाग्रता मन की जीत है मन की अस्थिरता अर्थात मन की चंचलता, ध्यान परिवर्तन | मन की एकाग्रता अर्थात मन की सभी वृत्तियों की एक ही विषय में स्थिरता या दत्त चित्तता पाठ याद करने बैठे हो, मन चंचल हो उठा, पहुंच गया दूरदर्शन के पास |पाठ याद न होने का कारण मन की हार है इसके विपरीत यदि मन की समग्र शक्ति को पाठ याद करने में लगा दिया तो पाठ निश्चित याद होगा | अर्जुन भी मछली की आँख का निशाना तभी लगा सका था, जब मन एकाग्र हो गया था | मछली की आँख का भेदन मन की जीत है | शेक्सपियर के अनुसार सन्देश ह्रदय में भय उत्पन्न करता है, जिससे हमें जिस पर विजय प्राप्त करने का पूरा भरोसा होता है, उसी के आगे नतमस्तक होना पड़ता है | हजरत दरगाह (कश्मीर) में केंद्रीय सत्ता के विकल्प मन के कारण ही भारत सरकार को आतंकवादियों के आगे नतमस्तक होना पडा | कोई कार्य का मन में होने वाला द्रढ निश्चय संकल्प है | जब नेपोलियन की सेना ने आल्पस पर्वत को दुर्ल्ध्य मानकर उस पर चढ़ने से इनकार कर दिया तो वह स्वयं सैनिकों को ललकारते हुए आगे बढा | उसने कहा - आल्पस है ही नहीं | बस-आल्पस-पर्वत नेपोलियन के संकल्प से पराजित हो गया यही परिस्थिति महाराजा रणजीत सिंह के सम्मुख उपस्थित हुई | अटक नदी की उफनती जलधारा को देखकर उनकी सेना ठिठक गई | महाराजा रणजीत सिंह स्वयं आगे बढे और घोड़े को नदी में उतार दिया | अटक नदी परास्त हुई | सेना अटक के पार हुई | स्मरण शक्ति के अभाव में मानव-पराजय का मुख देखता है परीक्षा में कमजोर स्मरण-शक्ति फेल का मुंह चाटती है | राष्ट्र के प्रति पराजित मन से चिंतन-मनन के कारण आज भारत का तिरोभाव हो रहा है | द्वितीय विश्व युद्ध में जापान प्रायः टूट चुका था, किन्तु उसका मनोबल नहीं टूटा था | इस मनोबल के बल पर टूटा हुआ जापान पुनः विश्व की महती शक्ति बन गया | महादेवी के शब्द हार भी तेरी बनेगी, भानिनी जय की पताका, सच सिद्ध हुए | अर्जुन युद्ध लड़ने से पूर्व मानसिक द्रष्टि से पराजित हो गया था, क्योंकि वह मन से हार चुका था | दूसरी ओर, भीष्म पितामह मृत्युशैय्या पर लेते हुए भी इच्छाशक्ति से मृत्यु को रोके हुए थे | यह इच्छाशक्ति मन की शक्ति थी | इसलिए शरशय्या पर पड़े हुए भी जीवित थे | मन के जीते जीत को चरितार्थ कर रहे थे | जीवन की अनिवार्य स्थिति है – हार और जीत | दोनों का सम्बन्ध मनुष्य के मन से है जहाँ मन की शक्ति सबल होगी, वहां जीत होगी ! जहाँ मन की शक्ति क्षीण होगी वहां पराजय होगी | मन की शक्ति तन को शक्ति प्रदान करती है साहस का प्रणयन करती है | आशा को बलवती बनाती है, हारिये न हिम्मत का उपदेश देती है संकल्प को द्रढ निश्यय में ढालकर हार को भी जीत में बदल देती है | अतः बच्चो मन को स्थिर कर विद्या का अभ्यास करें | तभी हम उच्च शिखर पर पहुँच पायेंगे | विद्यार्थी विद्यालय की पढाई का घर पर मन लगाकर अध्ययन न करे तो परीक्षा में फेल हो जावेगा | संत तिरुवल्लुवर ने कहा है, सौभाग्य न होना किसी के लिए दोष नहीं है, समझकर प्रयत्न न करना दोष है | संसार के महापुरुषों, वैज्ञानिकों, तपस्वियों की उपलब्धियां और सफलताएं उनके सतत अभ्यास का सुपरिणाम है | अतः स्थिर मन से अभ्यास करें अभ्यास सिद्धी का साधन है वह विकास का मार्ग प्रशस्त करता है, सुप्त प्रतिभा जाग्रत करता है श्री और ऐश्वर्य की प्राप्ति करवाता है, यश का सेहरा बांधता है | अतः निरंतर अभ्यास करते जाओ और मन को काबू में रखो | अनभ्यासे विषं विद्या अर्थात अभ्यास के बिना विद्या विष है | नृत्य, संगीत, गायन के प्रेमी रियाज करना छोड़ दें तो विद्या उन्हें छोड़ देगी | विख्यात पहलवान अखाड़े की मिटटी छोड़ दें तो अखाड़ा पहलवान को चित्त कर देगा | केवल स्थिर मन से सिद्धि प्राप्त होती है | आगे बढ़ने का मूलमंत्र है मन का अपने काबू में रखें और विद्या का अभ्यास करें |
तुलसी राम पंवार संयोजक
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सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय में आपका स्वागत है । हमारे विद्यालय का उद्देश्य वैश्विक युवा वर्ग को शिशु कक्षाओं से दशम कक्षा तक हमारे विद्यार्थियों को एक बोधात्मक शिक्षा प्रदान करन है ।
अपने कर्तव्य कर्म को बिना विलम्ब यथा समय करना ही समय का सदुपयोग हैι जिस समय जो कार्य करना अपेक्षित है उस समय वही कार्य करना समय का सदुपयोग है ι
योग वशिष्ठ का कथन है ι कार्यमणवपी काले तु क्रित्मेत्युप कारताम ι महानत्युप करोsपि रिक्तता मेत्यकालतः ι ι अर्थात ठीक समय पर किया हुआ थोडा सा कार्य भी बहुत उपयोगी होता है और समय बीतने पर किया हुआ महान उपकार भी व्यर्थ हो जाता हैA
अंग्रेज़ी में एक कहावत है “Strick when the iron is hot” अर्थात लोहा जब गरम हो तभी चोट कीजिये | अन्यथा प्रभाव शून्य हो जावेगा | कैकेयी ने वर मांगने के लिए सुअवसर चुना तो उसे वर प्राप्त हुए | कृष्ण जो समय के पारखी थे वे महान द्रष्टा बने | उन्होंने पार्थ से कहा – देख दिन अभी शेष है | परिणामतः जयद्रथ का वध हो गया | कर्ण का पहिया भूमि में धंसा है, चला बाण ! दानवीर कर्ण लुढ़क गया | श्री गुरूजी, डॉ. हेडगेवार जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी तो समय के सदुपयोग के महारथी थे | प्रकृति समय के सदुपयोग की गुरु है ब्रम्ह मुहूर्त में सैर व्यायाम का निमंत्रण देता है | सायंकाल मनोरंजन की प्रेरणा देता है तो रात्री सुख स्वप्नों में खोने को लालायित करती है |
ग्रीष्म तेज का, वर्षा जल का, तथा शरद शरीर की पुष्टि करके लाभ उठाने का समय है | पुष्प कहते है हम विकसित हैं, फल पक चुके हैं, साग सब्जियां कहती हैं, हम पूर्ण यौवन प्राप्त हैं, हमें तोड़ने का यही उचित समय है | उचित समय पर उचित काम करो तो जीवन में आनंद की स्रोतस्विनी बहेगी | जो बीत गया सो बीत गया | शेष जीवन को ही लक्ष्य में रखते हुए प्राप्त अवसर को परखो, समय का मूल्य समझो |
हर काम के लिए निश्चित समय नहीं होता, जब चाहे खाएं जब चाहे सोएं, वे लोग कायर और निरुद्यमी बन जाते हैं | जो प्रत्येक कार्य के लिए अपना समय निश्चित कर लेते हैं, उनके मन में बुरी-बुरी बातें सूझती हैं कहावत भी है – खाली दिमाग शैतान का घर |
गांधीजी बहुत व्यस्त रहते थे प्रातः कालीन भ्रमण, अखबार में लेख लिखना चिट्ठियों के उत्तर देना उनकी दिनचर्या में शामिल था | अतः हमें अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए | अपने जीवन को सार्थक एवं प्रतिभाशाली बनाना चाहिए | समय का सदुपयोग करने का एक सरल उपाय है समय का नियोजन | समय पर नियोजन के लिए समय-तालिका बनाईये | उसका दृढ़ता और निष्ठा से पालन कीजिये | निर्धारित समय पर निश्चित काम करने में ही जीवन सफलता का रहस्य है |
शुभकामनाए —
योगेंद्र सिंह मंडलोई प्राचार्य
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हम मन में कुछ ऐसे भाव को लेकर काम कर रहे हैं की समाज का हर व्यक्ति अहंकार मुक्त जीवन जिये और ये तभी संभव है जब मनुष्य शिक्षित हो | उसकी शिक्षा भी कैसी, संस्कारयुक्त शिक्षा और उसका बीजारोपण बाल्यावस्था से ही संभव है | कोमल मन में उच्च विचारों का बीजारोपण करने के भाव को लेकर अनवरत बालक और अभिभावक का बौद्धिक विकास हो “यह मेरा है वह तेरा है” के भाव से मुक्त व्यक्ति उन्नति की ऊंचाई पर पहुँचता है “जो सदा झुकता है वह सदा उठता है” जिसके मन में बड़ों के प्रति आदर, श्रद्धा और अपनों से छोटों के प्रति अनंत प्रेम रखकर हम अपना कार्य सहज भाव से करते हैं | विद्यालय में अध्ययनरत भैया-बहिन प्रग्रति के पथ पर अग्रसर हों, उनके लिए सतत प्रयासरत रहते हैं | विद्याभारती द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में आचार्य, अभिभावक और भैया बहिनों को पूरे उत्साह से सम्मिलित होने की सक्रिय भूमिका होनी चाहिए | हमारी सजगता, सक्रियता अभिभावक को सक्रिय और सजग बनाती है | अभिभावक की सजगता बालक के प्रगति पथ को प्रशस्त करता है और बच्चों की प्रगति, समाज की प्रगति, राष्ट्र की प्रगति है यही हमारी सौ प्रतिशत प्रगति है यही हमारे जीवन का ध्येय है यही हमारा लक्ष्य है |
“जिसको न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है वह नर नहीं है पशु निरा और मृतक सामान है |” हम जिस भारत माता की गोद में बैठकर उसका अन्न, जल, वायु ग्रहण कर रहे हैं, प्रकृति के द्वारा प्रदत्त संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, उसके बदले यदि प्राप्त दायित्व का निर्वहन पूर्ण जिम्मेदारी, पूर्ण मनोयोग से पूर्ण समर्पण भाव से करते हैं तो, भरत भूमि में जन्म लेने की सार्थकता सिद्ध होगी |
पुनः हम सभी के प्रति आत्मीय स्नेह भाव से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कृतज्ञता व्यक्त करते हैं अपनों का स्नेह और आशीर्वाद हमारे कार्य की सफलता है |
हम आप सभी से निवेदन करना चाहते हैं के अपने शिशु रूपी पौधे को संस्कार युक्त विद्या प्राप्त करने के लिए सरस्वती शिशु मंदिर की छाँव में अपने नन्हे शिशुओं को अवश्य भेजें और बदलते परिवेश (वातावरण) में आप अपने और अपनों को सुरक्षित करें |
आप सभी का स्नेही
गुलाब सिंह मुकाती प्रधानाचार्य
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Yogendra Singh Mandloi
Department: Non-Teaching
principal
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Gulab Singh Mukati
Department: Non-Teaching
pradhanachary
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kaluramji sitole
Department: Teaching
teacher
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Mahendra Singh Gor
Department: Non-Teaching
Co-Principal
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Miss deepika rathod
Department: Teaching
Teacher
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Miss kalyani rathod
Department: Teaching
teacher
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Miss pinki sitole
Department: Teaching
Teacher
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Miss ritu namdev
Department: Teaching
Teacher
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Miss shivani sharma
Department: Teaching
Teacher
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Mrs chetana solanki
Department: Teaching
Teacher
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Mrs. Nalini Barwe
Department: Teaching
Teacher
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Mrs. Sangeeta Sharma
Department: Teaching
Teacher
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Pankaj devray
Department: Teaching
Teacher
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Sanju gourd
Department: Teaching
teacher
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Shri Bholuram Malakar
Department: Teaching
Teacher
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Shri Kamlesh Sarang
Department: Teaching
Co-Teacher
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Shri Kamlesh Verma
Department: Teaching
Teacher
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Shri Vishnu Kanade
Department: Teaching
Teacher
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Smt nisha mukati
Department: Teaching
Teacher
|
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Smt Sonam pawar
Department: Teaching
Teacher
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Careers at Saraswati Shishu Vidhya Mandir High School bardiya |
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